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Anchor Meaning in Hindi: एंकर का मीनिंग क्या होता है? एंकर क्या होता है और एंकर कैसे बनें, आदि के बारे डिटेल में जानकारी।

 

आज के इस लेख में हम आपको एंकर का मतलब (Anchor Meaning in Hindi) क्या होता है? इसके बारे में बताएंगे और इसके साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे, कि कैसे आप बड़े आसानी से एंकर बन सकते हैं। चलिये सबसे पहले एंकर का मतलब क्या होता है, इसके बारे में जानते हैं।

 

Anchor Meaning in Hindi

एंकर का हिंदी में मीनिंग समाचार उदघोषक होता है। एंकर वह व्यक्ति होता है जो किसी भी टीवी प्रोग्राम को होस्ट करता है। जैसेकि मीडिया के फील्ड में जो एंकर टीवी पर समाचार सुनता है उसको न्यूज़ एंकर कहते हैं। इसके अलावा जो लोग टीवी पर एंटरटेनमेंट प्रोग्राम होस्ट करते हैं, जैसेकि Indian Ideal या अन्य कोई भी प्रोग्राम होस्ट करते हैं तो उसको टीवी एंकर कहते हैं।

 

Anchor kaise bane

एंकर बनने के लिए कैंडिडेट किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास होना चाहिए, इसके बाद मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म से संबंधित कोर्स करके आप न्यूज़ या टीवी एंकर बन सकते हैं।

 

Anchor Meaning in Hindi | एंकर का मीनिंग, एंकर कैसे बनें?

 

Anchor Bannne ke liye Course

एंकर बनने के लिए तमाम कोर्स आज के समय मे संचालित किए जा रहे हैं, जिनको आप कर सकते हैं।

 

Anchor Course after 12th

बीए इन मास कम्युनिकेशन

बीए इन जर्नलिज्म

बीएससी मास कम्युनिकेशन

बीजेएमसी

बीएमसी

बीए इन ब्रॉडकास्ट जॉर्नलिज्म

बीएससी इन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

डिप्लोमा इन टीवी जर्नलिज्म

 

Anchor Course after Grudation

एमए इन मास कम्युनिकेशन

एमए इन जर्नलिज्म

एमएससी मास कम्युनिकेशन

एमजेएमसी

एमएमसी

एमए इन ब्रॉडकास्ट जॉर्नलिज्म

एमएससी इन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

पीजी डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

पीजी डिप्लोमा इन टीवी जर्नलिज्म

 

Anchor Course Fees

इस कोर्स की फीस अलग- अलग कॉलेजों में अलग-अलग होती है। प्राइवेट कॉलेजों में फीस काफी ज्यादा होती है और गवर्नमेंट कॉलेजों में फीस काफी कम होती है। फिलहाल इन कोर्स की औसत फीस 10 हजार से लेकर 1.5 लाख प्रतिबर्ष तक होती है।

 

Skills for Anchor in Hindi

एंकर बनने के लिए उम्मीदवार को कैमराफ्रेण्डली होना चाहिए और साथ ही एक अच्छे वक्ता के उसके अंदर गुण होने चाहिए। अगर आप टीवी प्रोग्राम्स के लिए एंकर बनना चाहते हैं तो आपको खुशमिजाज और हँसमुख भी होना चाहिए और साथ ही लोगों को हंसाने और प्रोग्राम से बांधे रखने की भी आपके अंदर क्षमता होनी चाहिए।

 

अगर आप न्यूज़ एंकर बनना चाहते हैं तो आपको डेली घटित होने वाली घटनाओं पर और नेशनल व इंटरनेशनल मुद्दों से भी अपडेट रहना होगा।

 

इन सभी के अलावा एंकर की कम्युनिकेशन स्किल बहुत ही स्ट्रांग होनी चाहिए और प्रोनाउंस भी सटीक होना चाहिए।

 

Career Scope in Anchoring

आज के समय मे एंकरिंग के फील्ड में कैरियर स्कोप काफी अच्छा है, क्योंकि आज के समय मे टीवी न्यूज़ चैनल्स की कमी नही है, यंहा पर आपके लिए बेहतरीन मौके हो सकते है। बस आपके अंदर इस फील्ड से रिलेटेड स्किल्स होनी चाहिए। बाकी कैरियर स्कोप को लेकर टेंशन न लें।

 

TV Anchor ki Job Kaise Milegi

 

टीवी एंकर की जॉब पाने के लिए सबसे पहले आप किसी अच्छे और रेपुटेड कॉलेज से मास कम्युनिकेशन एंड जॉर्नलिज्म से संबंधित कोर्स करें और इसके बाद किसी अच्छे टीवी न्यूज चैनल में इंटर्नशिप करें। इंटर्नशिप के बाद आप एंकर की जॉब के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

 

Anchor Salary

 

एंकर की सैलरी काफी हाई होती है। जिस तरह इनका काम चैलेंजिंग होता है, उसी तरह इनकी सैलरी भी काफी ज्यादा होती है। आमतौर पर एक अच्छे एंकर को 1 करोड़ सालाना से भी ज्यादा का सैलरी पैकेज मिल सकता है।

 

Best College For News Anchor Course

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन दिल्ली

जामिया मिलिया इस्लामिया

इंदिरागांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी

माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी भोपाल

कलकत्ता यूनिवर्सिटी

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी

हैदराबाद यूनिवर्सिटी

गुरुघासीदास यूनिवर्सिटी

ओस्मानिया यूनिवर्सिटी

मुंबई यूनिवर्सिटी

गुरुकुल कांगिनी यूनिवर्सिटी हरिद्वार

जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन

 

उम्मीद है Anchor Meaning in Hindi ये लेख आपको पसंद आया होगा, अगर इस लेख को लेकर आपके कोई भी सवाल या सुझाव हैं तो आप कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं।

 

 

DA Meaning in Hindi: आज के इस लेख में हम डीए का मीनिंग और डीए से जुड़ी सारी जानकारी देंगे।

 

DA Meaning in Hindi

डीए की फुल फॉर्म Dearness Allowance होती है। जिसका हिंदी में मीनिंग महंगाई भत्ता होता है।

 

What is DA in hindi (महंगाई भत्ता क्या है)

महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों को उनके रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है। जिससे कि महंगाई बढ़ने पर भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर में कोई कमी न हो। इसलिए DA सैलरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। सरकारी कर्मचारियों व पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को महंगाई भत्ता दिया जाता है।

 

सरकार अपने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई से बचाने के लिए ये भत्ता देती है। बढ़ती महंगाई की वजह से इसको भी बढ़ाना पड़ता है। साल में इसको दो बार यानी जनवरी और जुलाई में कैलकुलेट किया जाता है। शहरी, अर्द्धशहरी और ग्रामीण इलाकों के हिसाब से ही कर्मचारियों का डीए अलग-अलग होता है।

 

DA (महंगाई भत्ता) की शुरुआत कैसे हुई?

महंगाई भत्ता देने की शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी। उस समय सैनिकों को खाने और अन्य दूसरी सुविधाओं के लिए वेतन से अलग यह पैसा दिया जाता था। उस वक्त DA को खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस कहा जाता था।

 

भारत में मुंबई सबसे पहले 1972 में महंगाई भत्ते देने की शुरुआत हुई थी। इसके बाद फिर केंद्र सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा। यंही से महंगाई भत्ता देने की शुरुआत हुई।

 

DA कैसे कैलकुलेट किया जाता है?

सरकार ने 2006 में डीए कैलकुलेट करने के फॉर्मूले में बदलाव किया था। तब से इसी आधार पर डीए का कैलकुलेशन होता है।

 

{पिछले 12 महीनों का औसत ऑल इंडिया कंज्यूमर Price इंडेक्स ( बेस ईयर-2001=100-115.76/115.76}X100

 

सेंट्रल पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए DA फॉर्मूला इस तरह है- { 3 महीनों का ऑल इंडिया कंज्यूमर Price इंडेक्स का औसत ( बेस ईयर-2001=100-126.33/126.33}X100

 

DA से कितनी सैलरी बढ़ेगी

केंद्र सरकार ने डीए, मूल वेतन का 28 फीसदी करने का फैसला किया है। पहले यह 17 फीसदी होता था, लेकिन अब इसमें 11 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी गई है। मान लीजिए अगर किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 30 हजार रुपये है तो 28 फीसदी के हिसाब से DA की रकम 8,400 रुपये बनेगी।

 

क्या DA टैक्स के दायरे में आता है

सैलरी पाने वाले सभी कर्मचारियों को डीए पर टैक्स देना पड़ता है। इनकम टैक्स के रूल्स के मुताबिक कर्मचारियों को डीए का हिस्सा आईटीआर में अलग से भरना होता है।

 

डीए की दो कैटेगरी होती है। औद्योगिक या इंडिस्ट्रीयल महंगाई भत्ता और वैरिएबल महंगाई भत्ता।

 

इंडस्ट्रियल महंगाई भत्ता ये केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों पर लगता है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर हर तिमाही में इसकी समीक्षा होती है।

 

वैरिएबल महंगाई भत्ता (VDA) केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लगता है और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर इसका हर छह महीने में रिव्यू होता है। वीडीए भी तीन चीजों पर आधारित है- 1.बेस इंडेक्स 2. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स, 3.सरकार की ओर से तय किया गया वीडीए।

 

पेंशनर्स के लिए DA (महंगाई भत्ता)

 

पेंशनर्स के लिए दिया जाने वाला महंगाई भत्ता को डियरनेस रिलीफ (DR) कहते है। जब भी वेतन आयोग वेतन का नया ढांचा बनाता है तो उसमें बदलाव का प्रभाव रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन पर भी पड़ता है। अगर महंगाई भत्ता बढ़ जाता है तो पेंशनर्स की DR भी बढ़ जाती है।

 

DA और एचआरए में क्या अंतर

 

अक्सर लोग डीए और एचआरए को एक ही चीज समझ लेते हैं। लेकिन इन दोनों में अंतर है। इनकम टैक्स के मुताबिक इन दोनों पर टैक्स की देनदारी अलग-अलग होती है। एचआरए प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के कर्मचारी दोनों को मिलता है जबकि डीए सिर्फ पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को ही मिलता है। एचआरए के लिए कुछ में टैक्स छूट भी है। लेकिन डीए में कोई टैक्स छूट नहीं है।

 

उम्मीद है DA Meaning in Hindi ये लेख आपको पसंद आया होगा, क्योंकि यंहा पर मैंने DA की मीनिंग के साथ ही इससे जुड़ी सारी जानकारी दी है, जोकीं आपके लिए यूजफुल साबित होगी।

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